Sunday, August 15, 2010

A Hindi Poem by me on occasion of 15th August 2010

मेरा भारत महान

एक था भारत बडा पुराना
सब चाहते थे उसे चुराना
लोग नही चाहते थे उसे छोड कर जाना
माहोल था वहा का बडा ही सुहाना

अंग्रेजो कि नियत डोली
सेंध लगा कर दागी गोली
सौ सालो में किए हजारो तुकड़े
अब भी मायें रोती है दुखड़े

लेकिन कहाँ वह जानते थे
कुछ लोग उनके नियमो को नही मानते थे
उनका था बस एक ही नारा
अंग्रेजो से है देश छुड़ाना

जान लगा दी दाव पे हर एक
गांधी, सुभाष, भगत, तिलक और बहुत से नेक
माताये और बहने भी कहाँ पीछे थी
लक्ष्मीबाई और सरोजिनी ने भी जंग जीती थी

१५ अगस्ट को मिली आजादी थी
नेहरु जी ने अज़ान दी थी
चारो और खुशिया ही खुशिया थी
हर किसी ने अपनी किमत दी थी

लेकिन आज कहाँ गया वोह जोश वोह खुशी
अब तो है केवल मदिरा और शुशी
जागो नागरिको, उठो, अब नशे में मत झुलो
हर एक का कुछ कर्तव्य है येह मत भुलो

आओ याद करे शाहिदो कि कुर्बानी
पाठ करे गीता, कुरान, बाइबल और गुरुबानी
कहाँ गया वोह भारत सुहाना
लौटा कर है उसे लाना

देश हमारा आज भी सोने कि चिडिया है
फ़र्क सिर्फ देखने के नज़रिये में है
सौ में से निन्यान्बे बेइमान भले हो
तुम उन सौ में से एक इमान्दार बनो

आओ करे प्रण इस चोसठवे वर्ष में
कोइ न होगा बेइमान इस देश में
लौट आए वोह भारत प्यारा
यही है इस १५ अगस्ट का नारा ......
यही है इस १५ अगस्ट का नारा ........

जयहिंद .....

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